पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/३१२

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७२१
जसवन्तराव होलकर

७२१ जसवन जसवन्तराव होलकर पर साफ लिखा है कि ये तीनों अंगरेज अपने स्वामी को छोड़ कर अंगरेजों की ओर चल जाना चाहते थे। जसवन्तराव को इस विषय में अंगरेजों और सींधिया के युद्ध से काफी सबक मिल चुका था। उसने तुरन्त इन तीनों विश्वासघातकों को सैनिक नियम के अनुसार मौत की सज़ा दी। लेक समझ गया कि जसवन्तराव के साथ उसके गुप्त उपायों का चल सकना इतना सुगम न था, जितना सींधिया के साथ। जसवन्तराव होलकर की अंगरेजों सं इस समय केवल यह माँग थी कि जनरल वेल्सली ने मुझसे जो वादे " किए थे, उन्हें पूरा किया जाय। जनवरी सन् मांगें १०४ के अन्त में सींधिया और अंगरेजों के बीच सुलह हो चुकने के बाद जसवन्तराव ने एक पत्र जनरल वेल्सली को लिखा, जिसमें उसने दक्खिन के कुछ जिले अंगरेजों से मांगे। इसके पाँच या छै सप्ताह बाद जनरल लेक की इच्छा के अनुसार जसवन्तराव ने अपने वकील जनरल लेक के पास भेजे। १८ मार्च सन् १८०४ को इन वकीलों ने जसवन्तराव की निम्नलिखित माँगे जनरल लेक के सामने पेश की- १-होलकर को अपने पूर्वजों के रिवाज के अनुसार 'चौथ' जमा करने ही इजाजत होनी चाहिए। २-होलकर राज के पुराने इलाके जैसे हटावा, इत्यादि, गङ्गा और जमना के बीच के १२ जिले और एक ज़िला बुन्देलखण्ड का होलकर को मिल आने चाहिए।