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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/३१७

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७२६
भारत में अंगरेज़ी राज

७२६ भारत में अंगरेजी राज ___ xxx मैं निश्चय कर चुका हूँ कि जितनी जल्दा हो सके, जसवन्त- राव होलकर के साथ युद्ध शुरू कर दिया जाय ।" ___ उसी दिन मार्किस वेल्सली ने जनरल वेल्सली को लिखा कि श्राप दक्खिन की ओर से होलकर के चान्दोर के इलाके पर हमला कर दें, और एक पत्र सोंधिया दरबार के रेज़िडेण्ट को लिखा कि श्राप सीधिया को इस बात के लिए तैयार कर कि सींधिया अंगरेजों के साथ मिल कर अपनी सेना होलकर के राज पर हमला करने के लिए भेजे। स्मरण रखना चाहिए कि अभी तक अंगरेजों की ओर से युद्ध का कोई बाज़ाब्ता एलान न हुआ था और न जसवन्तराव को कोई सूचना दी गई थी। जनरल लेक को पूरा विश्वास था कि जिस सरलता से मैं सोंधिया को परास्त कर सका उससे अधिक श्रासानी से अब होलकर का नाश कर सकूँगा । जनरल लंक की श्राशा के दो मुख्य आधार थे। एक अपने “गुप्त उपायों' से होलकर के श्रादमियों को अपनी ओर फोड़ सकना और दूसरे दक्खिन से जनरल वेल्सली का हमला, किन्तु दुर्भाग्यवश इस अवसर पर दोनों बातों में लेक को धोखा हुआ । जब से जसवन्तराव ने अपनी सेना के तीन विश्वास- घातक यूरोपियन अफसरों को मरवा डाला था, तब से उसका सेना में और विश्वासघातक पैदा कर सकना जनरल लेक के लिए असम्भव हो गया था। दूसरे जनरल वेल्सली की ओर से भी लेक की श्राशा पूरी न हो सकी।