पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/३१८

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जसवन्तराव होलकर

जसवन्तराव होलकर ७२७ जनरल वेल्सली की असफलता के कई कारण थे, जिनमें मुख्य यह था कि अंगरेज़ों के दुर्व्यवहारों के कारण वेल्लली को इस बार भारतीय प्रजा से रसद इत्यादि की सहायता की श्राशा न थी। वेल्सली की कठिनाइयों को बयान करते हुए मिल लिखता है- ___"x x x किन्तु ऐसे देश से सेना का लाना और ले जाना जिसमें रसद और चारा बिलकुल न मिल सकता था, जनरल वेल्सली को इतना खतरनाक मालूम हुआ कि उसने लिख दिया कि ( होलकर के दक्खिनी इलाके ) चान्दोर पर हमला करना वर्षा शुरू होने से पहले मेरे लिए करीब करोब असम्भव है।" जनरल वेल्सली ने, जो इस बात को अच्छी तरह जानता था कि पिछले संग्रामों में उसके अत्याचारों और प्रतिज्ञाभङ्ग का भारतवासियों पर कितना बुरा असर पड़ा है, १७ मार्च सन् १८०४ को जनरल स्टूअर्ट को लिखा- ___ “दक्खिन से हिन्दोस्तान की सेना ले जाना ठीक न होगा। यदि हमारी सेनाएँ चान्दोर से उत्तर में चली गई तो पेशवा और दक्खिन के सूबेदार (निज़ाम ) दोनों के इलाकों में पचास होलकर खड़े हो जायँगे; नर्बदा और तापती के बीच की पहाड़ियों से निकल सकना हमारे लिए अत्यन्त दुष्कर हो जायगा x x x" २० अप्रैल सन् १८०४ को जनरल वेल्सली ने मेजर मैलकम को लिखा- "x x x मैं दक्खिन से सेना हराने की हिम्मत नहीं कर सकता।"

  • Mill, vol vi, P 401