पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/३२८

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जसवन्तराव होलकर

जसवन्तराव होलकर - जून सन् १८०४ को गवरनर जनरल ने लेक को उत्तर दिया- " x x x इस घटना से अंगरेज़ी सेना की ज़िल्लत हुई है और अंगरेज़ सरकार के हित खतरे में पड़ गए हैं। "इस अपूर्व दुर्घटना से जो जो बुरे परिणाम पैदा हो सकते हैं उनके विस्तार का अनुमान कर सकना कठिन है xxxi "बुन्देलखण्ड की इस स्थिति के कारण मैं आपको अपनी इस राय की सूचना देना आवश्यक समझता हूँ कि जो प्रबन्ध मैंने अपने २५ मई सन् १८०४ के पत्र में लिखे थे, वे अब मुखतबो कर दिए जायं, और जसवन्तराव होलकर और उसके साथ के लुटेरे सरदारों को परास्त करने के लिए जिस तरह सम्भव हो सके, प्रयत्न और परिश्रम किया जाय x x x"* जसवन्तराव होलकर के साथ अगरेजों का युद्ध अब फिर गम्भीरता के साथ शुरू हो गया । तीन ओर से तीन सेनाएँ होलकर पर हमला करने के लिए हमले का बृहत प्रायोजन तैयार की गई। सब से मुख्य एक विशाल सेना उत्तर में जनरल लेक के अधीन, दूसरी सेना जसवन्तराव पर the honour of the British arms has been disgraced, and the interests of the British Government hazarded, " It is difficult to calculate the extent of the evil consequences which may result from this unparalleled accident "In consequence of the state of affairs in Bundelkhand, it appears to be necessary to apprize Your Excellency of my opinion that the arrange- ments stated in my instructions of the 25th May, 1804, must be postponed, and every possible effort and exertion must be made to reduce Jaswant Rao Holkar, and the predatory chiefs connected with hum, "-Governor General's letter to General Lake, dated 8th June, 1804.