पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/३५४

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भारत में अंगरेज़ी राज

७६२ भारत में अंगरेजी राज कर लिया। निस्सन्देह जिन उपायों ने मरे को सफलता प्रदान की उन्हीं से वैलेस ने भी पूरी तरह काम लिया। ___ मथुरा पहुँचते पहुँचते जसवन्तराव को अपने मालवा और दक्खिन के इलाकों के इस प्रकार छिन जाने का समाचार मिला। उसने दुख के साथ अनुभव किया कि अन्त में उसके श्रादमी भी अनन्त काल तक अंगरेज़ों के "गुप्त उपायों" के लिए अभेद्य न रह सके। मथुरा में बैठ कर अब वह अपने इन इलाकों को फिर से विजय करने के उपाय सोचने लगा। जसवन्त राव ने महाराजा सींधिया, बरार के राजा और ... भरतपुर के राजा को अपनी ओर करना चाहा। दोनों दलों की उधर जसवन्तराव के देर तक मथुरा में ठहर योजनाएं . जाने से अंगरेज़ों को मौका मिल गया ! उन्होंने एक ओर उसके राज में उसके विरुद्ध तरह तरह की झूठी ख़बरें फैलानी शुरू कर दी, और दूसरी ओर दिल्ली को ठीक कर लिया, और साथ ही जनरल लेक ने होलकर पर हमला करने की तैयारियां कर ली। ३ सितम्बर को जनरल लेक ने कानपुर से कूच किया । २२ सितम्बर को वह प्रागरे पहुँचा, और सिकन्दरे कर में अपनी सेना जमा करके पहली अक्तूबर को मथुरा की ओर रवाना हुआ। जिस समय जनरल लेक मथुरा की ओर बढ़ रहा था उसी समय जसवन्तराव होलकर दिल्ली पर कब्ज़ा करने और दिल्ली सम्राट को अपने पक्ष की असफलता