पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/३७५

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भरतपुर का माहासरा

भरतपुर का मोहासरा ७७६ ऊपर लिखा जा चुका है कि होलकर की सवार सेना इस ___ समय भरतपुर से बाहर थी। यह संना होलकर अमीर खो और . के प्रसिद्ध सरदार अमीर खां के अधीन थी। भी उसके श्रादमियों ___ इस बाहर की संना ने अँगरेज़ी सेना को खब दिक कर रक्खा था और उनके पास रसद का पहुँच सकना करीब करीब असम्भव कर दिया था। यदि कहीं अमीर खाँ एक बार हिम्मत करके पीछे से अंगरेजी सेना पर हमला कर देता तो सामने से फ़सील पर की गोलाबारी और पीछे से अमीर ख़ाँ का हमला, इन दोनों के बीच में आकर रही सही अंगरेज़ी सेना वहीं चकनाचूर हो गई होती। किन्तु अंगरेज़ों के सौभाग्य से अमीर खाँ शुरू से वफ़ादारी या ईमानदारी के मुकाबले में धन की अधिक कद्र करता था। ५ मार्च को गवरनर जनरल ने लेक को लिखा :- “मिस्टर सोटन और जनरल स्मिथ को इस बात का अधिकार दे देना चाहिए कि अमीर खों के जो अनुयायी उसे छोड़ कर पाने को तैयार हो उन सब से वे जमींदारियाँ देने का वादा कर लें। यदि अमीर खाँ होलकर को छोड़ कर अंगरेज सरकार की ओर पा जाय x x x तो उससे भी जागीर का वादा कर लिया जाय ।" • "Mr Seton and General Smith should be authorized to offer a settle- ment of land to such of Amir Khan's followers as would quut hum Even Amir Khan himself might be offered ajagheer, if he will quit Holkar's cause, submit to the British Government, and come into General Smith's camp "-Governor-General to General Lake,5th March