पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/३७६

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७८०
भारत में अंगरेज़ी राज

७८० भारत में अंगरेज़ी राज ___ यानी अमीर खाँ के साथ अंगरेजों की साज़िशे इस समय दोरुखी थीं। एक अमीर खाँ के श्रादमियों को लोभ देकर अमीर खाँ से तोड़ने की कोशिश और दूसरे अमीर ख़ाँ को लालच देकर होलकर से तोड़ने की कोशिश । जनरल लेक ने गवरनर जनरल को जवाब में लिखा :- "निस्सन्देह अमीर खाँ के अनुयाइयों को ज़मींदारियों का लालच देना चाहिए। _ "अमीर खाँ की माँगें बहुत अधिक हैं। वह तैंतीस लाख रुपए शुरू में और फिर उसके बाद इतनी बड़ी जागीर माँगता है जिससे दस हज़ार सवारों का गुजारा चल सके । यही उसकी मॉग रुहेलखण्ड में थी और अब कि उसकी पलटने और तोपें सींधिया से जा मिली हैं, मुझे बहुत सन्देह है कि अब वह अपनी माँग को कम करे ।"* अमीर खाँ के साथ सौदा हो गया। जनरल स्मिथ जिसकी मार्फत सौदा तय हुश्रा अमीर ख़ाँ को परास्त अमीर खों का करने के लिए सवारों सहित कम्पनी की ओर विश्वासघात से भेजा गया। अफजलगढ़ में अमीर खाँ की सेना और जनरल स्मिथ की सेना में एक दिखावटी संग्राम हुश्रा। • "A settllement in lands should certainly be offered to Amir Khan's followers " Amir Khan is most exorbitant in his demands He asks thirty-three lacs of rupees in the first instance and a Jagheer for 10,000 horse. This was his proposal in Rohilkhund, and I doubt much if he would now be more moderate, as his battalions and guns have joined Scindhra"-General Lake to Governor-General