पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/३९५

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दूसरे मराठा युद्ध का अन्त

दूसरे मराठा युद्ध का अन्त ७६९ युद्ध शुरू न कर दिया तो हम पर एक बहुत बड़ी आपत्ति पाए बिना नहीं रह सकती।xxx "x x x इन नरेशों की संयुक्त सेनाओं के विरुद्ध हमें xxx हिन्दोस्तान और दक्खिन के हर भाग में युद्ध करना होगा।"* जाहिर है कि मार्किस वेल्सली इस बात का निश्चय कर चुका था कि परिणाम चाहे कुछ भी हो, अगस्त सन् १८०५ में सींधिया और होलकर दोनों के साथ फिर से युद्ध श्रारम्भ कर दिया जाय । किन्तु मार्किस वेल्सली की इच्छा पूरी न हो सकी। स्वयं वेल्सली को भारत छोड़ कर शीघ्र इंगलिस्तान लौट जाना पड़ा। कारण यह था कि दो वर्ष से ऊपर के लगातार युद्धों और प्रायः साल भर की लगातार हारों के कारण जो की इंगलिस्तान के शासकों और कम्पनी के डाइरेक्टरों लगातार हारों का में मार्किस वेल्सली और जनरल लेक दोनों के परिणाम प्रति अप्रसन्नता बढ़ती जा रही थी । इस अप्रसन्नता का मुख्य कारण यह था कि मार्किस वेल्सली की युद्ध नीति के सबब कम्पनी की आर्थिक स्थिति इस समय बहुत खराब हो गई थी। मींधिया और भोसले के विरुद्ध संग्रामों में धन को पानी की तरह बहा कर, रिशवतें दे देकर, अंगरेजों ने विजय • “Great danger must inevitablv be produced by our abstaining from the prosecution of hostilities at the earliest practicable period of tume, . against the confederated forces hostilities in every quarter of Hindustan and the Deccan "