पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/४१३

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दूसरे मराठा युद्ध का अन्त

दुसरे मराठा युद्ध का अन्त १७ उल्लेख करने योग्य हैं । एक राजपूताने की देशी रियासतों की ओर उसकी नीति, और दूसरी वेलोर का ग़दर । राजपूताने के राजाओं ने मराठों के विरुद्ध अंगरेज़ों को सहायता दी थी। इस सहायता के बदले में को मार्किस वेल्सली और जनरल लेक ने इन राजाओं भेदनीति के साथ सन्धियाँ करके उनसे वादा किया था कि यदि श्राप में से किसी पर कोई बाहर से आक्रमण करेगा तो अंगरेज़ आपकी सहायता करेंगे। किन्तु सर जॉर्ज बारलो ने गवरनर जनरल बनते ही इन सन्धियों को एक कलम रद्द कर दिया, और इसके विपरीत इन राजपूत राजाओं को एक दूसरे से तोड़ने और लड़ाने की पूरी कोशिशें की। इस तोड़ फोड़ के विस्तार में पड़ने के स्थान पर हम केवल बारलो की इस कुत्सित नीति का सच्चा रूप दो प्रामाणिक अंगरेज़ लेखकों के सार शब्दों में दर्शा देना चाहते हैं। सर जॉन मैलकम लिखता है कि सर जॉर्ज बारलो की- "नीति x x x खुले तौर पर अपने पड़ोसियों के आपसी झगड़ों और उनकी लड़ाइयों को अपनी कुशल का एक विशेष उपाय समझती है और यदि इन आपसी लड़ाइयों को साफ़ भड़काती नहीं, तो कम से कम अलग अलग रियासतों के साथ अपने राजनैतिक सम्बन्ध को इस तरह का रूप देती है कि जिससे उनमें इस तरह की आपसी लड़ाइयाँ पैदा हों और जारी रहें।"

  • ". . . apolicy, which declaredly looks to the disputes and wars

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