पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/४१९

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८२३
प्रथम लॉर्ड मिण्टो

८२३ प्रथम लॉर्ड मिण्टो और राजा भरतपुर के हाथों जनरल मॉनसन और जनरल लेक की एक वर्ष से ऊपर की लगातार हारों और ज़िल्लत के कारण भारतवासियों में अंगरेज़ों की कीर्ति को भी ज़बरदस्त धक्का पहुँच चुका था। बरार के राजा और महाराजा सींधिया दोनों के कुछ उपजाऊ इलाके अंगरेजों के हाथ श्रा गए थे, फिर भी अपने अपने राज के अन्दर सींधिया, भोसले और होलकर, तीनों की पूर्ण स्वाधीनता में कोई फ़रक न आया था। राजपूताने के राजाओं और विशेष कर गोहद के राना ने मराठों के विरुद्ध अंगरेज़ों की पूरी सहायता की थी, किन्तु युद्ध के बाद अंगरेजों ने इन नरेशों के साथ जिस तरह की कृतघ्नता का बर्ताव किया, उसे देख अन्य भारतीय नरेशों के दिलों से भो अंगरेजों की ईमानदारी में विश्वास उठ गया था। चारों ओर इस बात को सम्भावना दिखाई देती थी कि विविध भारतीय नरेश ब्रिटिश भारत पर हमला करके अपने खोए हुए इलाके फिर से प्राप्त करने का प्रयत्न करें। इसके अतिरिक्त स्वयं अंगरेज़ी इलाके के अन्दर कम्पनी की भारतीय प्रजा अत्यन्त दुखी और असन्तुष्ट थी। अंगरेजों के विरुद्ध विटिश भारत में जमीन का लगान इतना अधिक असन्तोष " बढ़ा दिया गया था कि जितना अंगरेज़ों के राज से पहले कभी सुनने में भी न पाया था और न जिसकी उस समय किसी भी देशी राज के अन्दर मिसाल मिल सकती थी। ___ नए अंगरेज़ी इलाकों के अन्दर गोहत्या के प्रारम्भ होने और अन्य अनेक अनुसने अत्याचारों का ज़िक्र ऊपर किया जा चुका है।