पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/४२७

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प्रथम लॉर्ड मिण्टो

प्रथम लॉर्ड मिण्टो ३१ जसवन्तराव खास कर बंगालियों को इतना "कायर और निर्वीर्य" बना दिया था कि वे डाकुओं का मुकाबला करने के असमर्थ हो गए थे।* दूसरा खतरा उस समय अंगरेज़ों को मराठों से था। होलकर, सींधिया और भोसले का अभी तक सर्वनाश न हो पाया था और यह डर था कि कहीं ये नरेश होलकर का चरित्र फिर से आपस में मिल कर अंगरेजों से बदला न लें। ____ इन तीनों में सबसे अधिक भय अंगरेजों को अभी तक जसवन्तराव होलकर से था। जसवन्तराव के चरित्र के विषय में ग्रॉण्ट डफ़ लिखता है- "जसवन्तराव होलकर के चरित्र का मुख्य गुण वह कठोर, उद्यमशीलता और पराक्रमशीलता थी, जो कि उसके अन्य देशवासियों के समान उसमें विजय के समय तो अनन्त होती ही थी, किन्तु जो कठिन से कठिन पराजयों के समय भी उसके अन्दर से कम होने न पाती थी। इसी तरह अाम मराठों की अपेक्षा वह अधिक सुशिक्षित था, और फारसी और मराठी दोनों लिख सकता था । व्यवहार में वह निष्कपट था, x x x उसका कद छोटा था, किन्तु शरीर अत्यन्त फुर्तीला और मज़बूत था; यद्यपि उसका रंग साँवला था और अचानक किसी बन्दूक के छूट जाने के कारण उसकी एक loss of martial habits and character, have made the people of Bengal so timid and enervated, that no resistance is to be apprehended in the act, nor punishment afterwards."-Lord Minto's letter to Lady Minto