पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/४४०

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८४४
भारत में अंगरेज़ी राज

८४४ भारत में अंगरेज़ी राज राजा के साथ होलकर दरबार के झगड़ों में किसी तरह का दखल न देंगे। इस सन्धि के भरोम और निज़ाम की सहायता पर विश्वास करके अमीर खाँ अपनी सेना लेकर जनवरी सन् १८०६ में बरार की सरहद पर जा पहुंचा। ___ दूसरी श्रोर बरार के राजा को अंगरेजों ने यह सुझाया कि निज़ाम और अमीर खाँ दोनों मुसलमान मिल कर तुम्हारे विरुद्ध साजिश कर रहे हैं, और बरार के उस इलाके पर, जो निज़ाम की सरहद से मिला हुआ है, अमीर खाँ का राज कायम कर देना चाहते हैं। इतना ही नहीं, बल्कि लॉर्ड मिण्टो ने बिना माँगे कम्पनी की सेना अमीर खाँ के मुकाबले और राजा बरार की मदद के लिए रवाना कर दी। अमीर खाँ अपने मुकाबले में कम्पनी की सेना को भाया हुश्रा देख कर चकित रह गया। प्रोफेसर एच० एच० विलसन लिखता है कि अमीर खाँ ने- ___"होलकर दरबार के साथ अंगरेजों की सन्धि की उस शर्त की दुहाई दी जिसमें अंगरेज़ सरकार ने यह वादा किया था कि हम होलकर के मामलों में किसी तरह का भी दखल न देंगे, xxxअमीर खों का 'एतराज़ नहीं सुना गया, फिर भी उसकी दलील अकाव्य और न्याय्य थी ; xxx उसको दलील यह थी कि अंगरेज़ सरकार का व्यवहार सन्धि के साफ़ विरुद्ध है और उन गम्भीर वादों के भी विरुद्ध है जो अंगरेज़ सरकार ने होलकर दरबार से किए हैं कि बरार के राजा से जसवन्तराव का जो कुछ