पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/४४१

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प्रथम लॉर्ड मिण्टो

प्रथम लॉर्ड मिण्टो ८४५ झगड़ा है उसमें हम कोई दखल न देंगे । इन दलीलों का अब कोई प्रभाव न पड़ सकता था।"* हमें यह भी स्मरण रखना चाहिए कि बरार के राजा के साथ अंगरेजों की कोई सन्धि इस तरह को न थी . जिससे वे ऐसे अवसर पर राजा की मदद बरार से लौटना करने के लिए बाध्य होते, ओर न राजा ने उनसे मदद की प्रार्थना की थी। फिर भी अमीर ख़ाँ को हराने और बरार के राजा की रक्षा करने के लिए अंगरेज़ी सेना मौके पर मौजूद हो गई । मालूम नहीं, इसके बाद स्वयं अमीर खाँ की नीति किस ओर को झुकी। कम्पनी को सेना के बढ़ते ही अमीर खाँ बरार के राजा का इलाका छोड़ कर पीछे हट गया। अंगरेजों ने भी अमीर ख़ाँ का अधिक दूर तक पीछा करना उचित न समझा, और यह घटना यहीं समाप्त हो गई। __इस प्रकार की नीति द्वारा लॉर्ड मिण्टो ने अपनी भारतीय प्रजा, होलकर, सोंधिया और भोसले जैसे भारतीय नरेशों को अंगरेजों के विरुद्ध सर उठाने से रोके रक्खा ! appealed with unanswerable justice, although with no avail, to the stipulation of the existing treaty with Holkar , which engaged that the British Government would not in any manner whatever interfere in his affairs , he argued that the conduct of the Government was a manifest infraction of the treaty, and a breach of the solemn promises made to Jaswant Rao, that it would not meddle with his claims upon the Raja of Berar These representations were no longer likely to be of any weight"- Mill, vol vil, p 210