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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/४४६

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भारत में अंगरेज़ी राज

५० भारत में अंगरेजी राज निस्सन्देह "व्यापार को उन्नति देना" केवल एक आड़ थी। मैलकम के ईरान भेजे जाने का वास्तविक उद्देश इस पत्र के नीचे के वाक्य से ज़ाहिर है- "तुम्हारे भेजे जाने का मुख्य उद्देश जमानशाह को हिन्दोस्तान पर हमला करने से रोकना है; x x x दूसरा लक्ष्य गवरनर जनरल का यह है कि यदि किसी समय फ्रान्सीसी किसी ऐसे मार्ग से भारत में प्रवेश करने का प्रयत्न करें जिसमें ईरान का बादशाह उन्हें रोक सके, तो ईरान के दरबार के साथ सन्धि कर ली जाय कि वह फ्रान्सीसियों के विरुद्ध हमें दिल से पूरी तरह मदद दे।" मैलकम को इस पत्र में अधिकार दिया गया कि नीचे लिखी शर्त पर ईरान के बादशाह के साथ सन्धि कर ईरान के साथ ली जाय- सन्धि की शर्त "ईरान के बादशाह के साथ सन्धि कर ली जाय कि इस तरह के उपायों द्वारा, जो ईरान के बादशाह और कप्तान मैलकम के बीच तय हो जाय, जमानशाह को हिन्दोस्तान के किसी भाग पर हमला करने से रोका जाय, और यदि जमानशाह अटक के पार पा जाय या हिन्दोस्तान पर हमला कर बैठे, तो ईरान का बादशाह इस बात का वादा करे कि वह इस तरह की ज़रूरी तदबीरें करेगा जो कि ज़मानशाह को फ़ौरन् अपनी सल्तनत की रक्षा के लिए लौटने पर मजबूर कर दें।" बाबा खाँ को अपने एक महधर्मी और पड़ोसी नरेश के साथ इस प्रकार विश्वासघात पर राज़ी करने के लिए उसे लोभ देना श्रावश्यक था । इसलिए मैलकम को लिख दिया गया-