पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/५२

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भारत में अंगरेज़ी राज

४७६ भारत में अंगरेजीराज दिया गया और भारत में अंगरेजी राज के मार्ग की मब से जबरदस्त बाधा दूर हो गई। ___टीपू की मृत्यु का समाचार अब कलकत्ते पहुँचा तो वहाँ के अंगरेजों ने बड़े बड़े जलसे किए और खुशियाँ त पर मनाई, बाकायदा जलस निकाले गए, गवरनर खुशियाँ जनरल और बाकी सब अफसरों ने नए गिरजे में दिन नियत करके बड़े ठाट बाट के साथ कलकत्से के नए गिरजे में जाकर खुदा का शुक्रिया अदा किया; क्योंकि उस समय के बंगाल के अंगरेज़ चीफ जस्टिस सर जॉन ऐन्सट्रधर के शब्दों में टीपू की ताकत ही-"उस समय एक मात्र ताकत थी जो हमारी सेनाओं का मुंह मोड़ने का अपने में बल रखती थी।" और "भारत में हमारा (अंगरेजी ) साम्राज्य अब से पक्का और महफूज हो गया।" प्रसिद्ध इतिहास लेखक जेम्स मिल को छोड़कर बहुत कम . अंगरेज लेखक ऐसे हैं जिन्होंने टीपू के चरित्र टीपू के चरित्र को न के साथ न्याय करने की कोशिश की हो। इनमें कलंकित करने mam से अधिकांश लेखकों ने टीपू को बदनाम करने के भरसक प्रयत्न किए हैं, यहाँ तक कि मुसलमान लेखकों को धन देकर उनसे फ़ारसी में सुलतान टीपू की कल्पित जीवनियाँ लिखा डाली गई हैं। इन अंगरेजों या अंगरेजों के धनप्रीत भारतीय लेखकों की पुस्तकों में टीपू के अत्याचारों के अनेक कल्पित किस्से भरे हुए हैं। संसार के इतिहास में शायद बहुत कम लोगों के • Sir John Anstruther to the Governor General, 17th May, 1799