पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/५२१

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भारतीय उद्योग धन्धों का सर्वनाश

भारतीय उद्योग धन्धों का सर्वनाश १२५ पाई या यदि हिन्दोस्तान के साथ हमारे राजनैतिक सम्बन्ध में थोड़ा बहुत भी फर्क पड़ा, तो हमें एक ऐसी असा विपसि का सामना करना पड़ेगा कि जिसके घातक नतीजों से ग्रेट ब्रिटेन भर में या कम से कम देश के उन समस्त हिस्सों में जहाँ बड़े बड़े कल कारखाने हैं एक झोपडा भी बच न सकेगा।"* ईस्ट इण्डिया कम्पनी और अंगरेज़ सरकार के ज़बरदस्त . प्रयत्नों से १६ वीं शताब्दी के अन्त में भारत के भारत की निर्धनता प्राचीन उद्योग धन्धे इतिहास मात्र रह गए और जो देश करीब सौ वर्ष पहले संसार का सब से अधिक धनवान देश था वह सौ वर्ष के विदेशी शासन के परिणाम स्वरूप संसार का सब से अधिक निर्धन देश हो गया। • "Indeed, it would not be too much to say that if any serious disaster ever overtook our Indian Empire, or if our political relations with the Peninsula of industan were to be even partially disturbed, there is not a cottage in Great Britain-at all events in the manufacturing districts-which would not be made to feel the disasterous consequences of such an intolerable calamity -Lord Dufferin's Speeches in India, Joha Murray, p 284.