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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/५२३

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नैपाल युद्ध

नेपाल युद्ध ह२७ पर अंगरेजों के बहुत दिनों से दांत थे। किन्तु ये सब ज़िले उस समय नैपाल के स्वाधीन राज में शामिल थे। यही हेस्टिंग्स के नैपाल युद्ध का वास्तविक कारण था। इससे कुछ वर्ष पहले भी महाराजा रणजीतसिंह को भड़का कर और उमसे मदद का वादा करके अंगरेज़ उसं गारखां सं लड़ा चुके थे * प्रसिद्ध अंगरेज़ इतिहास प्रोफेसर एच० एच० विलसन लिखता है - "किसी उत्तरीय ( यूरोपियन ) जाति के लोग केवल एक ऐसे प्रदेश और ऐसे जलवायु में ही जमा हो सकते हैं और बढ़ सकते हैं जो कि हिन्दोस्तान के गरम मैदानों की अपेक्षा यूरोपियन सङ्गठन के लिए अधिक अनुकूल हो, और जहाँ पर कि उनके स्वतन्त्रता से फैलने के लिए काफ़ी जगह हो; और यदि कभी भी पूरब मे अंगरेजों के उपनिवेश किसी ऐसे स्थान पर कायम होंगे जहाँ अंगरेज़ों को अपनी नैतिक और शारीरिक शक्तियों ज्यों की स्यों बनी रह सकें, तो इसको प्राशा हम कंवल भारतीय एल्प्स ( हिमालय) की पहाड़ियों और घाटियों मे ही कर सकते हैं-अर्थात् इस तरह के उपनिवेश जब कभी कायम होंगे, गारखा युद्ध के प्रताप से ही कायम होंगे।" • Cunningthanm's History of the Sukhs + "Under a climate more longeumal to European organisation than the sultry plains ol India, and with space through which they may freely spread, the descendants of a luorthern race may be able to aggregate and multiply, and if British Colonies be ever formed m the East, with a chance ot preserving the moral and physical energies of the parent country, it is to the vales and mountains of the Indian Alps that we must look for their existence, it will be to the Gorkha War that they will trace ther origin "- Mill's History of British India, vol Val, pp 59,60