नेपाल युद्ध ६२४ और जब कभी किसी झगड़े में अंगरेज़ ज़मीदारों का पक्ष लेते थे तो नेपाल सरकार अंगरेज़ों का कहनामान लेती थी। इस बार भी वास्तव में झगड़ा कुछ जमींदारों और नेपाल के बीच था और इसमें कुछ भी सन्देह नहीं कि यदि अंगरेज़ चाहते तो पहले झगड़ों के समान इस झगड़े का भी शान्ति के साथ निबटारा हो जाता। किन्तु इस बार हेस्टिंग्स की इच्छा कुछ दूसरी थी। हेस्टिंग्स के भारत पहुंचने से पहले इस तरह का एक झगड़े का मोल झगडा मौजद था, और उस झगड़े के फैसले के लिए एक कमीशन भी नियुक्त था। इस कमीशन पर मेजर ब्रेडशा कम्पनी का वकील था। मालूम होता है मेजर ब्रेडशा को हेस्टिंग्स का इशारा मिल गया। मार्च सन् १८१४ में एक दिन अचानक और अकारण मेजर ब्रेडशा ने अपने साथ के नेपाली कमिश्नरों का अपमान कर डाला। प्रोफेसर विलसन लिखता है- "नेपाली कमिभर मेजर ब्रेडशा से मिलने पाए, मेजर ग्रेडशा ने उनके साथ प्रशिष्ट भाषा का उपयोग किया ; इस पर वे लोग चुप रह गए; और यह देख कर कि कोई काम उनके सामने पेश नहीं किया गया, उठ कर चले पाए।" खेना • History of the Political and Malitary Transactions in India during the Administration of the Marquis of Hastings, by Henry|T. Prinsep, pp. 63 et seq. PHistory of British India, by Mill and Wilson, vol vin, p. 12, footnote. ५६
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