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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/५२६

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भारत में अंगरेज़ी राज

६३० भारत में अंगरेज़ी राज हेस्टिंग्स को बहाना मिल गया। जिस जमीन के विषय में झगड़ा था वह उस समय नेपाल के कब्जे में थी हेस्टिंग्स ने बजाय मामले को तय करने के फ़ौरन् महाराज नैपाल को एक जोरदार पत्र लिखा कि विवादग्रस्त भूमि तुरन्त खाली कर दीजिये। यह पत्र गोरखपुर के मैजिस्ट्रेट द्वारा नेपाल दरबार के पास भेजा गया। उसी दिन हेस्टिग्स ने एक पत्र गोरखपुर के अंगरेज़ मैजिस्ट्रेट को लिखा कि यदि महाराजा नेपाल को पत्र भेजने के २५ दिन के अन्दर नैपाली उस जमीन को खाली न कर दें तो गोरखपुर से कम्पनी की सेना भेज कर उस भूमि पर जबरदस्ती कब्जा कर लिया जाय। नेपाली समझ गए कि अंगरेज युद्ध के लिए कटिबद्ध हैं। नैपाली जाति एक वीर जाति है । उस समय तक अपने समस्त इतिहास में उन्हें कभी भी पराधीनता या पराजय तक का सामना न करना पड़ा था। उन्होंने लड़ाई के इस श्राह्वान को स्वीकार कर लिया। फिर भी उन्होंने अत्यन्त शिष्ट भाषा में गवरनर जनरल के अशिष्ट पत्र का उत्तर दिया, जिसमें नेपाल दरबार ने अपनी ओर से मित्रता कायम रखने की इच्छा प्रकट की। उधर गोरखपुर के मैजिस्ट्रेट ने २५ दिन समाप्त होते ही विवादग्रस्त भूमि पर कब्जा करने के लिए तीन कम्पनी गोरे सिपाहियों की रवाना कर दी। गोरखे अभी तक इसके लिए तैयार न थे। वे अंगरेजी सेना का बिना विरोध किए पीछे हट गए। अंगरेज़ी सेना उस इलाके में कुछ थाने कायम करके छेद छार