पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/५४९

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नैपाल युद्ध

नेपाल युद्ध ६५३ और तीन ओर से ब्रिटिश साम्राज्य के बीच परिमित कर दिया गया । नेपाल का कुछ दक्खिनी हिस्सा, जिसकी वार्षिक प्राय करीब एक करोड़ रुपये की थी, अंगरेज़ी इलाके में मिला लिया गया और एक अंगरेज़ रेजिडेण्ट नैपाल की राजधानी में रहने लगा। लिखा है कि इस सन्धि के बाद बलभद्रसिंह ने अपने मुट्ठी भर साथियों सहित महाराजा रणजीतसिंह के यहाँ जाकर नौकरी कर लो, और रणजीतसिंह व अफगानों के एक संग्राम में लड़ते लड़ते अपने प्राण दिए। यद्यपि इस युद्ध से नेपाली साम्राज्य का एक अङ्ग उससे तोड़ लिया गया और बहुत दिनों तक अंगरेज़ रेज़िडेण्ट के कारण नेपाली राजधानी के अन्दर नई तरह की साजिशों और दलबन्दियों का एक सिलसिला जारी रहा ; * फिर भी नैपालियों की स्वाभा- विक वीरता, नेपाल के अन्दर अंगरेजों को अनेक कठिनाइयों और नेपालियों के भारत के अनुभव से शिक्षा ग्रहण करने के कारण अंगरेज़ रेजिडेण्ट के पैर नेपाल में न जमने पाए, और न सन् १८१६ से श्राज तक नेपाली साम्राज्य की स्वाधीनता या क्षेत्रफल में किसी तरह का जाहिरा अन्तर पड़ने पाया। करीब १०० वर्ष के बाद सन् १९१२ में १८१४-१६ के नैपाल . युद्ध का सिंहावलोकन करते हुए एक अंगरेज़ अमरसिंह की ___ अफसर करनल शेक्सपीयर ने नेपालियों की बुद्धिमानी वीरता, उनकी सुजनता और उनकी उदारता की • History of Nepal, by Dr Dannel Wright, p 54