पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/६२१

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१०२०
भारत में अंगरेज़ी राज

१०२० भारत में अंगरेजी राज राज ज्यों का त्यों अप्पा साहब को दे दिया जायगा और अंगरेज़ अप्पा साहब के शत्रुओं से उसकी रक्षा करेंगे। ये शर्ते अत्यन्त अपमानजनक थीं, किन्तु अप्पा साहब ना . तजरुबेकार, परवश और कायर था । अप्पा साहब अरबों की ने ये सब शर्ते मञ्जर कर ली, किन्तु नागपुर की वफादारी " सेना में थोड़े बहुत लोग मौजूद थे जो इस आत्म- हत्या के लिए तैयार न थे । इन लोगों ने अंगरेज़ों के साथ लड़ने का निश्चय कर लिया, और अप्पा साहब तक को अंगरेज़ी छावनी में जाने से रोकने की कोशिश की। विशेष कर भोसले राज में उस समय सैकड़ों अरब सिपाही और जमादार थे। ये लोग अपनी वीरता और स्वामिभक्ति के लिये प्रसिद्ध थे। नागपुर के महल की रक्षा अधिकतर इन अरबों ही के सुपुर्द थी। १६ तारीख को ६ बजे राजा का यह सन्देश रेजिडेण्ट के पास पहुँचा कि अरब लोग मुझे श्राने नहीं देते और हथियार अंगरेजों के हवाले करने में कुछ देर लगेगी, किन्तु दो तीन दिन के अन्दर सब ठोक कर दिया जायगा । इस पर जेनकिन्स ने राजा को लिख भेजा कि यदि श्राप बजे तक हमारी छावनी में श्रा जायँ तो बाकी शों के पूरा करने के लिए अधिक समय दे दिया जायगा। बजे से कुछ पहले स्वयं राजा अप्पा साहब अंगरेजी छावनी के भीतर पहुँच गया। अप्पा साहब की इस कातरता का ठोक भेद नहीं खुलता। फिर भी कुछ समय बाद राजा अप्पा साहब ने बयान किया कि