पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/६८३

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लॉर्ड विलियम बेण्टिक

लॉर्ड विलियम बेण्टिङ्क १०७६ "(3) जब तक सूर्य और चन्द्रमा कायम है, सन्धि करने वाले दोनों पक्ष अपने वचन पर कायम रहेंगे। "(२) टोपू और उसके साथियों को दोनों अपना शत्रु सममेंगे। कुर्ग का राजा अपनी पूरी शक्ति भर टीपू को हानि पहुँचाने में अंगरेज़ों को मदद देगा। "(३) जितना रसद इत्यादि का सामान कुर्ग में पैदा होता है वह सब उचित कीमत पर राजा अंगरेज़ों को दंगा, और दूसरे टोपी वालों ( अर्थात् फ्रान्सीसी इत्यादि ) से राजा किसी तरह का सम्बन्ध न रक्खेगा । ___ "(४) कम्पनी इस बात का वचन देती है कि यदि टीपू के साथ सुलह हो गई तो भी कुर्ग की स्वाधीनता कायम रक्खी जायगी और राजा के हितों की पूरी रक्षा की जायगी। ___(५ ) शान्ति होने के समय तक के लिए वादा किया जाता है कि राजा और उसके कुटुम्बियों को टेलिचरी में पाश्रय दिया जायगा और हर तरह से उनकी खातिरदारी की जायगी। "ईश्वर, सूर्य, चन्द्रमा और पृथ्वी हमारे साक्षी हैं !" किन्तु कम्पनी के अंगरेज़ प्रतिनिधियों ने अपनी सन्धियों का मूल्य कभी भी एक रद्दी काग़ज़ के मूल्य से अधिक नहीं समझा। बेण्टिक जानता था कि दक्खिन भारत में अंगरेज़ों के उपनिवेश के लिए कुर्ग से अधिक उपयुक्त स्थान कोई नहीं मिल सकता था। इसलिए यद्यपि कुर्ग के राजाओं ने सदा अंगरेज़ों को लाभ ही पहुँचाया, फिर भी बेण्टिक ने किसी न किसी बहाने कुर्ग के साथ युद्ध करने का सङ्कल्प कर लिया। मालूम होता है कि कुर्ग के राजा