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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/६८४

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भारत में अंगरेज़ी राज

१०० भारत में अंगरेजी राज और प्रजा दोनों को वीर और मानी सुलतान टीपू के विरुद्ध विदेशियों का साथ देने के पाप का इस प्रकार प्रायश्चित्त करना पड़ा। कुछ वर्ष पहले लॉर्ड हेस्टिंग्स के समय में कुर्ग के राजा वीर ____ राजेन्द्र की मृत्यु हुई । कुर्ग की प्रथा के अनुसार युद्ध का बहाना वोर राजेन्द्र की पुत्री देवम्मा जी अपने पिता के बाद गही की अधिकारिणी थी। राजा वीर राजेन्द्र भी अपनी इस पुत्री ही को गही देना चाहता था। अंगरेज सरकार ने राजा के जीते जी उससे वादा कर लिया था कि हम देवम्मा जी के अधिकार का समर्थन करेंगे। किन्तु पिता के मरते ही देवम्मा जी को छोड़कर उसके एक भाई को गद्दी पर बैठा दिया गया। कम्पनी सरकार ने उसे राजा स्वीकार कर लिया और इस प्रकार राजा वीर राजेन्द्र के साथ अपने वचनों का साफ़ उल्लंघन किया। बेण्टिक को अब फिर कुर्ग के मामले में हस्तक्षेप करने की सूझी। देवम्मा जी और उसके पति को उभारा अंगरेजों का ___ गया। कहा गया कि कुर्ग का राजा कर और अन्यायी है और अपने श्रामोद के लिए अपने सम्बन्धियों और प्रजा का संहार किया करता है ! यहाँ तक कहा गया कि राजा अपनी बहिन ओर उसके पति दोनों को कत्ल करना चाहता है ! देवम्मा जी और उसके पति ने भाग कर मैसूर के अंगरेज़ रेज़िडेण्ट के यहां शरण ली। मालूम नहीं कि देवम्मा जो अंगरेज़ों की मदद से गही प्राप्त करना चाहती हस्तक्षेप