पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/६९१

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१०८७
लॉर्ड विलियम बेण्टिक

लॉर्ड विलियम बेण्टिक १०८७ है वे न केवल सन्धि की शर्तों के सर्वथा विरुद्ध है, बल्कि x x x सस्य के भी कहीं अधिक विरुद्ध मालूम होती है।" ___ इसके बाद ५० वर्ष तक अर्थात् सन् १८१ तक अंगरेज़ अफ़- सरों का एक कमीशन मैसूर का समस्त शासन करता रहा । सन् १८८१ में फिर पहले में भी अधिक कठिन शर्तों के साथ मैसूर का शासन प्राचीन हिन्दु राजकुल को सौंप दिया गया। जयपुर में लॉर्ड बेण्टिक ने जूठागम नामक अपने एक आदमी को वहाँ का मन्त्री नियुक्त कर के ज़बरदस्ती जयपुर और महागजा के सिर मढ़ दिया। लिखा है कि माघर जूठागम की नियुक्ति कम्पनी और जयपुर के बीच की मन्धि के विरुद्ध थी और इस नियुक्ति से समस्त राज में अराजकता फैल गई। ___ जोधपुर के महाराजा के जिम्मे अंगरेजों की सबसीडी की कुछ रकम बाकी थी। तुरन्त सेना भेज कर साँभर का ज़िला और सांभर झोल का कुछ भाग बतौर जमानत महाराजा से ले लिया गया। इसी अवसर पर लॉर्ड बेण्टिङ्क ने सांभर झील और साँभर जिले के उस हिस्स पर भी ज़बरदस्ती कब्जा कर लिया जो जयपुर - • “ thus the grounds alleged for the original attachment of the country are not only unsustainable by the terms of the treaty, but are found to be even more opposed to truth " -- The Mysort Reversion, by Major Evans Bell, pp, 21-24