पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/६९९

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लॉर्ड विलियम बेण्टिक

लॉर्ड विलियम वेण्टिक २०६५ गवरनर जनरल को साफ़ लिख दिया कि यदि सिन्ध के अमीर राज़ी न हो तो उनकी कुछ परवाह न की जाय। सर चार्ल्स मेटकॉफ़ उस समय गवरनर जनरल की कौन्सिल का एक सदस्य था। उस डर था कि यदि यह कपट याजना भेद सिन्ध के अमीरोंपर खुल गया और यदि वे अंगरेजों के विरुद्ध होगए तो भविष्य में बाहर के किसी भी शत्रु को अंगरेजों के विरुद्ध उनसे सहायता मिल सकेगी। इसलिए मेटकॉफ़ इस समस्त कपट प्रबन्ध के विरुद्ध था। उसने अक्तूबर सन् १८३० को गवरनर जनरल को लिखा- "राजा रणजीतसिंह को उपहार भेजने के बहाने सिन्धु नदी की सरवे करने की योजना मुझे अत्यन्त अनुचित प्रतीत होती है। ___"मेरी सम्मति में यह एक ऐसी चाल है जो हमारी सरकार को शोभा नहीं देती, जिसका भेद बहुत सम्भव है कि कभी न कभी खुल जायगा, और जब भेद खुलेगा तो जिन ताकतों को हम इस समय धोखा दे रहे हैं उनके हम क्रोध और ईर्षा के पात्र बने बिना न रह सकेंगे। * "xxx हमें बीच की रियासतों को इस तरह के कामों से नाराज़ नहीं • " The scheme of surveying the Indus, under the pretence of sending apresent to Raja Ranjit Singh, seems to me highly objectionable "It is a trick, in my opinion, unworthy of our Government, which can not fail when detected, as most probably it will be, to excite the jealousy and indignation ot the powers on whom we play it " Minute of Sir Charlse Metcalf, October, 1830