पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/७०४

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भारत में अंगरेज़ी राज

११०० भारत में अंगरेज़ी राज सिन्ध पर चढ़ाई करने से रोक दिया । रणजीतसिंह अंगरेज़ों की इच्छा के विरुद्ध चलने का साहस न कर सका । फिर भी इस समय से हो रणजीतसिंह के दिल में अंगरेज़ों की ओर से गहरो शङ्का उत्पन्न हो गई। उस समय के अनेक पत्रों से यह भी साबित है कि रणजीतसिंह के राज के विरुद्ध भी बेण्टिक के समय से हो अंगरेजों में गुप्त सलाहे और तजवीजें हो रही थीं। कप्तान कनिकम लिखता है कि सिख युद्ध के कारणों में से एक कारण यह था कि लॉर्ड बेण्टिक की गवरनर जनरली के दिनों में अंगरेजों ने स्वयं सिन्ध पर कब्जा करने के उद्देश से रणजीतसिंह को सिन्ध विजय करने या सिन्ध को अपनी एक सामन्त रियासत बनाने से रोकने के लिए हर तरह के छल, कपट और बहानेबाजी का उपयोग किया ।* संक्षेप में लॉर्ड बेण्टिङ्क का व्यवहार भारत की अन्य रियासतों के साथ इस प्रकार रहा । कुर्ग और कछाड़ को मन उसने कम्पनी के राज में मिला लिया। अवध का सार की बादशाहत के आन्तरिक मामलों में उसने अनुचित हस्तक्षेप किया, जिससे बाद में उसके उत्तराधिकारियों को अवध के स्वाधीन अस्तित्व को मिटाने में मदद मिलो। उसने दिल्ली सम्राट का अकारण अपमान किया। ग्वालियर की मराठा रियासत को हड़प जाने की उसने भरपूर कोशिश की। मैसूर को उसने बहाना निकाल कर अंगरेजों के शासन में कर लिया और

  • History of the Sikht, by Captaan Cunningham, chapter, vn