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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/७०५

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११०१
लॉर्ड विलियम बेण्टिक

नाश लॉर्ड विलियम बेण्टिक ११०१ भी कई छोटी बड़ी रियासतों में उसने अनधिकार हस्तक्षेप किया। और सब से महत्वपूर्ण बात सिन्धु नदी को सरवे के लिये उसने वह कपट प्रबन्ध रचा जिससे अफगानिस्तान, पञ्जाब और सिन्ध तीनों की भावी आपत्तियों की बुनियाद पड़ गई। लॉर्ड बेण्टिङ्क को अन्य काररवाइयों में से दो चार उल्लेख ___करने योग्य हैं- पुराने घरानों का बेरिट के आने के सैकड़ों वर्ष पहले से हज़ारों पुराने घरानों को और हजारों धार्मिक, विद्या प्रचार सम्बन्धी अन्य सार्वजनिक संस्थाओं को मुगल सम्राटों और अन्य हिन्दू मुसलमान नरेशो को श्रोर से जगह जगह माफ़ो की ज़मीनें मिली हुई थीं, जिन्हें 'लाखिराज' ज़मीन कहते थे। अभी तक अंगरेजों ने ब्रिटिश भारत के अन्दर इन माफ़ी को ज़मीनों में हस्तक्षेप न किया था। किन्तु बेण्टिक ने भारत पहुँचते ही हर जिले के कलेक्टर को यह अधिकार दे दिया कि वह अपने जिले के अन्दर की जिस लाखिराज ज़मीन को उचित समझे कम्पनी के नाम ज़ब्त कर ले । इस अन्याय ने उस समय के सहस्रों ही खुशहाल भारतीय घरानों को बरबाद कर दिया, उनके बाल बच्चों को अपने जीवन निर्वाह के उपाय ढूंढ़ने के लिये घगै से बाहर निकाल फेंका और सहस्रों प्राचीन धार्मिक और अन्य संस्थाओं का अन्त कर दिया। बेण्टिा भारत के अन्दर कोई पुराना धनाढ्य या सम्मानित घराना बाकी छोड़ना न चाहता था। जितनी जागीरों या जायदादों के मालिक पुत्र विहीन मर जाते थे उन्हें वह कम्पनी सरकार के