सन् १८३३ का चारटर एक्ट ११०६ बन्द हैं। उनके लिए न कानून है और न इन्साफ; और जिनके पास धन है वे अन्दर घुस कर क्या देखते हैं ? कैम्पबेल ने स्वीकार किया है कि जज इस तरह के हैं जो अंगरेज़ जाति के नाम पर एक कलङ्क है। "छठी कसौटो-पुलिस। " x x x इस विषय में हम बङ्गाल के १२५२ अंगरेज़ और अन्य ईसाई बाशिन्दों का यह बयान उद्धत करते हैं कि वहाँ की पुलिस न केवल जुर्मों के बन्द करने, अपराधियों के गिरफ्तार करने और जान माल की रक्षा करने मे ही असफल रही, बल्कि हमारी पुलिस स्वयं अत्याचार का एक साधन है और लोगों के नैतिक पतन का एक प्रबल कारण बन गई हैxx x इस प्रकार कानून, इन्साफ़ और जुर्मों की कसौटी पर कसने से मालूम होता है कि १८३३ के कानून से भारतवासियों की उन्नति या उनके सुख को वृद्धि नहीं हुई। "सातवीं कसौटी-शिक्षा। "x x x अब हम सन् १८३३ की पद्धति को शिक्षा की कसौटी पर कसते हैं। x x x जबकि भारतवासियों के अपने शासन के दिनों में हर गाँव में पाठशाला थी, हमने इन ग्रामों को पञ्चायतों का नाश करके उनके साथ साथ वहाँ के स्कूख भी तोड़ डाले और उनकी जगह कोई नई चीज़ कायम नहीं की।xxx दो करोड़ बीस लाख की प्राबादी में से भारत सरकार इस समय हर साल १६० विद्यार्थियों को शिक्षा देती है !xxx जब कि कम्पनी के डाइरेक्टर भारत के टैक्सों की वसूली में से पिछले २० वर्ष के अन्दर ५३,००० पाउण्ड केवल दावतों पर खर्च कर चुके हैं। xxx
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