पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/१०२

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पुस्तक प्रवेश

सब की अलग अलग सम्पदाएँ थीं। बौद्ध और जैन सतों ने मांस और मदिरा का उपयोग एक बार बिलकूल बन्द कर दिया था, किन्तु कापालिकों और शाक्तों दोनों के जरिये इन दोनों चीज़ों का उपयोग स्थान स्थान पर फिर से धर्म का एक अङ्ग बन गया था। सारांश यह कि राजनैतिक, धार्मिक और सामाजिक, तीनों दृष्टि से भारत उस समय अन्धकार और अराजकता की हालत में था, असंख्य छोटी बड़ी रियासतें, एक दूसरे की दुशमन,सैकडो मत मतान्तर, और अगणित सदाचार-विरुद्ध कुरीतियाँ और अन्ध विश्वास!

भारत में इसलाम धर्म

ठीक उस समय, जब कि देश की यह हालत थी, इसलाम का भारत में पदार्पण हुआ । हम लिख चुके हैं कि इसलाम के जन्म से पहले अरबों की इस देश में खासकर दक्खिन भारत में अनेक बस्तियाँ थीं। उस समय के समस्त इतिहास से यह भी साबित है कि अरबों और भारतवासियों मे बड़ा प्रेम था, और अरब सौदागर इस देश के अन्दर आदर की दृष्टि से देखें जाते थे। मुसलमानों के सैनिक हमले से बहुत पहले, ईसा की सातवी सदी से ही अरब सौदागरों के साथ साथ नए इसलाम धर्म ने भी दक्खिन की श्रोर से भारत के अन्दर प्रवेश किया । इतिहास से पता चलता है कि इस नए धर्म का भी भारतवासियों ने उसी प्रेम के साथ स्वागत किया, जिस प्रेम के साथ वे सैकड़ों साल पहले से अरब सौदागरों का स्वागत करते रहे थे । एक बार भारतवर्ष की सीमाओं के अन्दर प्रवेष करते ही इसलाम भी भारत की असंख्य सम्प्रदायों मे से एक गिना जाने लगा । इतिहास लेखक रॉलैण्डसन लिखता है कि सातवीं सदी के अन्त में मुसलमान अरब