पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/१३

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हैदरअली और टीपू सुलतान के सम्बन्ध को जो अलभ्य और अधिकतर नई सामग्री मुझे मैसूर विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार श्रीयुत् बी० एम० श्रीकण्ठ्य एम० ए० बी० एल० के और मैसूर के पुरातत्व विभाग के विद्वान डाइरेक्टर डॉक्टर आर० शामाशास्त्री से प्राप्त हुई है उसके लिए मैं पूर्वोक्त दोनो सज्जनों का कृतज्ञ हूँ।

इस पुस्तक के अन्दर नगरों इत्यादि के जितने नाम दिए गए हैं उन्हें मैंने यथासम्भव स्थानीय उच्चारण के अनुसार देने का प्रयत्न किया है। मैं डॉक्टर मेघनाथ बन्दोपाध्याय का मशकूर हूँ कि उन्हों ने अपने विस्तीर्ण भौगोलिक ज्ञान से इस काम में मुझे सहायता दी। इस विषय में अधिकतर वे ही मेरे प्रमाण हैं।

चित्रों आदिक के संग्रह में श्रीयुत् वासुदेवराव सूबेदार सागर, श्रीयुत् वी०जी० जोशी चित्रशाला प्रेस पूना, डॉक्टर सर ए० सुहरा- वर्दी कलकत्ता, टीपू सुलतान के पर-प्रपौत्र शहज़ादे हलीमुज्ज़माँ, श्रीयुत् बहादुरसिंह सिंधी कलकत्ता, ज्ञानी हीरासिंह जी सम्पादक 'फुलवाड़ी' अमृतसर, श्रीयुत् नरेद्रदेव आचार्य काशीविद्यापीठ, पण्डित गोकुल चन्द दीक्षित सम्पादक 'स्टेट गज़ट' भरतपुर, श्रीयुत् रामानन्द चट्टोपाध्याय सम्पादक "मॉडर्न रिव्यू", डाक्टर सीताराम क्यूरेटर सेन्ट्रल म्यूजियम लाहौर, मिस्टर एफ० हैरिङ्गटन एफ़० आर० ए० एस० क्यूरेटर विक्टोरिया मेमोरियल कलकत्ता, और श्रीयुत् अमूल्यचरण विद्या भूषण मन्त्री बङ्गला साहित्य परिषद् कलकत्ता ने जो मेरी सहायता की है उसके लिये मैं इन सब सज्जनों का अत्यन्त आभारी हूँ। इनमें विशेषकर जिस