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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/१८८

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पुस्तक प्रवेश

पुस्तक प्रवेश यह बयान एक विद्वान् यूरोपियन यात्री का है, जिसने औरङ्गजेब के समय में स्वयं मुग़ल साम्राज्य की हालत को देखा था। हर कोतवाल की सनद में लिखा होता था कि तुम्हारी यह जिम्मेदारी है कि तुम्हारे शहर में कोई चोरी न होने पाए, शहर के लोग सुरक्षित रहें, और अमन के साथ अपने व्यापार आदिक कर सकें। हर इलाके के लिए एक, 'मुहतसिव' होता था, जिसका खास काम यह होता था कि शहर को हर गली में जाकर शराब बनने और बिकने के स्थानों, जुवाखानों आदि को जबरदस्ती बन्द कर दे। शायद हिन्दु साधुओं की प्रथा का खयाल करते हुए सूखे मादक द्रव्यों जैसे गाँजा, भाँग इत्यादि की इतनी कड़ी मनाही न थी । मुहतसिब की हिदायतों में लिखा होता था कि "शहरों के अन्दर शराब इत्यादि मादक द्रव्यों के बिकने की इजाजत न यो और न तवायफ़ों' को शहरों के अन्दर रहने दो।" शराब बन्दी इतिहास लेखक मोरलैण्ड लिखता है कि सम्राट अकबर ने साम्राज्य भर के शहर कोतवालों को यह आज्ञा दे दी थी कि बिना किसी के घर में जबरदस्ती घुसे, शराब का बनना जहाँ तक सम्भव हो बन्द करा दिया जाय, इसके बाद सम्राट जहाँगीर ने शराब का बनाना कानूनन बन्द कर दिया, किन्तु शाहजहाँ के समय में इस प्राज्ञा का बहुत अधिक कडाई के साथ पालन कराया गया । औरङ्गजेब के समय में भी यह कड़ाई जारी रही।

  • Miaghal Ailmemistrator, by Jadunath Sarkar, p. 41

+ India arthe Duataof Akbar, by Moreland, p 169.