सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/१९३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
१५९
मुगलो का समय

मुग़लों का समय "बङ्गाल के शासकों का मजहब इसलाम है, किन्तु हर मुसलमान पीछे वहाँ सौ से ऊपर हिन्दू हैं और तमाम सरकारी नौकरियाँ और ओहदे बिना किसी भेद भाव के दोनों मज़हब के लोगों को दिए जाते हैं ।" डॉक्टर बेनीप्रसाद ने अपनी पुस्तक जहाँगीर के इतिहास में लिखा है कि भारतीय मुग़ल सम्राटों के दरबारों में हिन्दुओं और मुसलमानों दोनों के मुख्य मुख्य त्योहार एक समान उत्साह और वैभव के साथ मनाए जाते थे। दशहरे के दिन सम्राट के हाथी और घोड़े सज धज कर जुलूस में निकाले जाते थे। रक्षाबन्धन के दिन ब्राह्मण लोग और हिन्दू सामन्त सरदार सन्नाट की कलाई में भाकर राखी बाँधते थे, दीपावली की रात को महल में रोशनी होती थी और जुश्रा तक खिलता था। शिवरात्रि को महलों के अन्दर दास रौनक दिखाई देती थी। ठीक इसी तरह मुसलमानों की ईद और शबबरात भी उतने ही उत्साह के साथ मनाई जाती थी 18 हर सम्राट की सालगिरह साल में दो बार मनाई जाती थी, एक मुसलमान चाँद की तारीखों के अनुसार और दूसरे हिन्दू तिथियों के अनुसार ।

  • There are above one hundred different sects but they never

have any hot disputes about their dostine or way of worship Every one as free to serve and worship God in their own way, and persecutions for religion's sake are not known among them" Further, "The religion of Bengal is established, Is fohammadan vet for one Mommadan there are above one hundred pagans and tne public offices and posts are filled promiscuously with men of both persuations - Ibrd, pp 321,415 • History of Jianger, by Beniprasad, M A, D Sc, Ph D p 100