मुग़लों का समय १७१ का अपनी ओर से बङ्गला में अनुवाद कराया, और दूसरों को इस तरह के कामों में मदद दीxxx जब कि बङ्गाल के बलवान मुसलमान बादशाहों ने देश की भाषा को अपने दरबारों में यह उच्च स्थान प्रदान किया तो कुदरती तौर पर हिन्दू राजाओं ने उनका अनुसरण कियाxxx इस तरह हिन्दू राजाओं के दरबारों में बङ्गाली कवियों की नियुक्ति का रिवाज मुसलमान बादशाहों की देखा देखी शुरू हुआ। बङ्गाल के मुसलमान बादशाहों के समान दक्खिन के बहमनी वाद- शाहों ने भी वहाँ के साहित्य और कलाकौशल को ख्लूब उन्नति दी। आदिलशाही बादशाहों के दफ्तरों में मराठी भाषा का उपयोग किया जाता था और मराठों को माल और सेना विभाग के उच्च पदों पर नियुक्त किया जाता था । कुतुबशाह दक्खिनी खुद मराठी भाषा का सुन्दर कवि था और साहित्य का बड़ा प्रेमी था । मराठी भाषा में हिन्दी और फारसी दोनों भाषाओं के शब्दों ने खूब प्रवेश किया। हिन्दी, उर्दू, बङ्गला और मराठी के अलावा और उन्हीं के समान पञ्जाबी और सिन्धी भाषाओं और उनके साहित्य ने भी मुसलमानों के समय में भारत में अपूर्व उन्नति की । वास्तव में वह समय प्राचीन संस्कृत के स्थान पर देशी भाषानों के उत्थान का समय था । हिन्दुओं और मुसलमानों का जीवन इस विषय मे इतना गुथा हुआ था कि मिश्रबन्धुओं ने अपनी पुस्तक में अनेक मुसलमान हिन्दी कवियों की और दिल्ली के • History of Bengali Language and Literature, by Didesh Chandra Sen, Pp 13,14
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