पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/२०७

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मुगलो का समय

सुगलो का समय प्राचीन भारतीय सभ्यताओं या अरब और ईशन की विदेशी सभ्यताओं दोनों के सर्वोच्च गुण लिए हुए, उन सब से ऊँची थी। हिन्दू अपने प्राचीन जात पाँत के भेदों, अनेक तरह के देवी देवताओं की पूजा, श्राडम्बरयुक्त कर्मकाण्ड, पुरोहितों के प्रभुत्व, असंख्य अन्धविश्वासों और सदियों की सङ्कीर्णता को तिलाञ्जलि दे, मालव समता, एक ईश्वरवाद और प्रेम और सदाचार के महत्व की ओर बढते हुए दिखाई दे रहे थे। भारत का इसलाम अरब के प्रारम्भिक इसलाम से भिन्न एक नई ही सुन्दर वस्तु बन रहा था और मुसलमान सूफ़ी हिन्दुओं के अनेक उच्च दार्शनिक सिद्धान्तों और योग प्राणायाम जैसी विधियों को अपना कर उन्हें इसलाम का एक अङ्ग बना रहे थे। कबीर, दादू, नानक और बाबा फरीद जैसे सैकड़ों हिन्दू और मुसलमान फकीर महात्मा अलग अलग धर्मों और सम्प्रदायों की बनावटी और हानिकर दीवारों को तोड़ कर मनुष्य मात्र को प्रेम का और एक सार्वजनिक उच्चतम सच्चे मानव धर्म का उपदेश दे रहे थे। शिल्प, विज्ञान, कला कौशल, साहित्य और सामाजिक रहन सहन मे नए और उच्चतर शादी का प्रादुर्भाव हो रहा था । भारत की विविध प्रान्तीय भाषाएँ पहली बार अपने अन्दर उच्च और स्फूर्तिदायक साहित्य को जन्म दे रही थी। समस्त देश सुख चैन और खुशहाली की ओर बढ़ रहा था । एक देश और एक राष्ट्र के भाव मानव प्रेम के रंग मे रङ्ग कर समस्त भारत को एक समान उच्चतर और पवित्रतर जीवन की ओर ले जा रहे थे। सम्राट अकबर लगातार कई सौ साल से बढने हुए और लहलहाते हुए इस राष्ट्रीय वृह का सब से सुन्दर, सब से महान और सब से गौरवान्वित पुष्प सोलर्व