पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/२६१

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भारत में यूरोपियन जातियों का प्रवेश

भारत में यूरोपियन जातियों का प्रवेश भारत से पुर्तगालियों की सत्ता के इतनी जल्दी मिट जाने का एक सबब यह भी बताया जाता है कि बहुत अधिक धनाढ्य हो जाने से ये लोग भोग विलास में पड़ गए थे। एक पुर्तगाली लेखक लिखता है:- “पुर्तगालनिवासियों ने एक हाथ में तलवार और दूसरे हाथ में सलीब (क्रॉस) लेकर भारतवर्ष में प्रवेश किया, किन्तु जब उन्हे यहाँ बहुत अधिक सोना नज़र श्राया तो उन्होंने सलीब को अलग रखकर उस हाथ से अपनी जेब भरनी शुरू कर दी और जब उनकी जेबें इतनी भारी हो गई कि वे उन्हें एक हाथ से न सँभाल सके तो उन्होने तलवार भी फेंक दी। इस हालत में जो लोग उनके बाद श्राए वे आसानी से उन पर हावी हो सके।" पुर्तगालियों के करीब सौ साल पीछे १६ वीं सदी के अंत में, एक दूसरे यूरोपियन देश हॉलैण्ड के रहने वाले, जिन्हें “डच" कहते हैं भारत पहुँचे । इन लोगों ने आसानी से पुर्तगालियो के रहे सहे जहाज़ आदि जलाकर उनकी बाकी सत्ता अपने हाथों में ले ली। आज दिन पुर्तगालियों का राज हिन्दोस्तान के अंदर केवल गोत्रा और दो एक छोटे छोटे टापुओं पर बाकी रह गया है। यूरोप में डच लोगों ने भारत के धन वैभव का ज़िक्र पहले पहल पुर्तगालियों से सुना। उनके दिल में भी भारत में भारत पहुंच कर धन कमाने की अभिलाषा पैदा डच जाति हुई। जल-मार्ग से भारत पाने के उन्होंने अनेक

  • Alfonzo-de-Souza, Governor of Portuguese India, 1545