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भारत में अंगरेज़ी राज

भारत में अंगरेजी राज इसके बाद शाहजहाँ का समय प्राया। सन् १६३४ ई० में पुर्त- . गालियों को बंगाल से निकालने के बाद शाहजहाँ आर ने अंगरेजों को बंगाल में तिजारत करने की अंगरेज इजाजत दे दी। सन् १६३६ ई० में अंगरेजो ने मद्रास में अपनी एक कोठी कायम की। उन दिनों बंगाल में अंगरेजों को अन्य दशी व्यापारियों की तरह अपने माल पर चंगी देनी पड़ती थी और उनके जहाज शाही फरमान के अनुसार हुगली के बहुत नीचे पिपली नामक स्थान पर रुक जाते थे। हुगली तक जहाज़ लाने की उन्हें इजाजत न थी। सन् १६४० ई० में शाहजहाँ की एक लड़की किसी तरह जल गई। उसके इलाज करने वालों में एक अंगरेज डॉक्टर भी था। शाहजादी अच्छी हो गई । जब इलाज करने वालो को इनाम व इकराम देने का समय आया, तो अंगरेज डॉक्टर की प्रार्थना पर शाहजहाँ ने बंगाल भर के अंदर अंगरेजो केमाल पर चुंगी माफ़ कर दी और उन्हें उस प्रान्त मे कोठियाँ बनाने तथा उनके जहाजों को हुगली तक आने की इजाजत दे दी। इसी फरमान के अनुसार १६४० ई० में कलकत्ते की कोठी बनी। शाहशुजा उस समय बंगाल का सूबेदार था, उसने सम्राट के फरमान के अनुसार 'परदेसी' अंगरेजों को अपना कारवार जमाने में हर तरह की मदद दी। sors, and, as tic penalty of resistance, decimate the one, and unprsson the other for ute as guuity of rebelion "---Torrens' Empire in Asia, P 10,I. Allahabad