पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/२७७

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भारत में यूरोपियन जातियों का प्रवेश

भारत में यूरोपियन जातियों का प्रवेश केन्द्र था। दूपते ने मद्रास अंगरेजों से छीन लेने का विचार किया। दोस्तनली खाँ का उत्तराधिकारी अनवरुद्दीन इस समय करनाटक का नवाब था । दृप्ले ने अंगरेजों के विरुद्ध नवाव के खूब कान भरे। लावूरदौन नामक एक फ्रांसीसी के अधीन उसने कुछ जल सेना मद्रास विजय करने के लिये भेजी और नवाब से यह वादा किया कि अंग- रेजों को मद्रास से निकाल कर मैं नगर आपके हवाले कर दूंगा। लावूरदौने ने मद्रास विजय कर लिया, किन्तु इसके साथ ही अंग- रेजों से चालीस हजार पाउण्ड नकद लेकर मद्रास फिर उनके हवाले कर देने का वादा कर लिया। इसके बाद दूप्ले ने अपने वादे के अनुसार मद्रास नवाव के हवाले कर देने की कोई कोशिश न की और न लाबूरदोने के वादे के अनुसार उस अंगरेजों ही को वापस किया। नवार को जब इस छत का पता चला, वह फ़ौरन सेना लेकर मद्रास की ओर रवाना हुआ। दृप्ले भी अपनी सेना सहित नवाब को रोकने के लिये बढ़ा ! ४ नवम्बर सन् १७४६ को मद्रास के निकट दूप्ले की सेना और नवाब करनाटक की सेना में संग्राम हुआ। दूप्ले की सेना में भी अधिकतर भारतीय सिपाही ही थे । इस भारतीय सेना और अपने तोपखाने के वल दूप्ले ने विजय प्राप्त की। इतिहास में यह पहली विजय थी जो किसी यूरोपियन ने किसी भारतीय शासक के विरुद्ध प्राप्त की। विदेशियों के हौसले और अधिक बढ़ गये। ___ अंगरेजों और नवाब करनाटक दोनों को फ्रांसीसी धोखा दे चुकं थे, इसलिए ये दोनों अब फ्रांसीसियों के विरुद्ध मिल गए !