पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/२९८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
४४
भारत में अंगरेज़ी राज

भारत में अगर जी राज कलकत्ते जाने से पहले इस किले को फिर से विजय किया। इस छोटे से संग्राम में नदी के ऊपर अंगरेजों की जहाज़ी तो और किनारे पर से सिराजुद्दौला की तोप दोनों में कुछ देर तक खाता मुकाबला रहा । किन्तु अाखिरकार अंगरेजी लेना को हारकर अपने जहाजों सहित पीछे हट जाना पड़ा। सिरानुद्दौला उस समय भी वृथा रक्त बहाने के विरुद्ध था। अब भी वह इन अंगरेज़ व्यापारियों के साथ अमन से रहने के लिए तैयार था। इस यात्रा में उसके शान्ति प्रियता ___एक दीवान ने कई बार वाट्स को अपने पास बुलाकर समझाया कि यदि अंगरेज अपने इस समय तक के अपराधों के बदले में बतौर जुरमान था हरजाने के थोड़ा बहुत भी धन पेश करने को तैयार हो और आइन्दा अमन से रहने का वादा करे, तो सुलह की जा सकती है और व्यापार सम्बन्धी समस्त अधिकार उन्हें फिर से मिल सकते हैं। कलकत्ते के अंगरेज अफसरों को भी इसकी सूचना दे दी गई । यदि वे चाहते तो उस समय भी सिराजुद्दौला के साथ सुलह कर सकते थे। किन्तु ये लोग अपने षडयन्त्रों के बल सिराजुद्दौला का नाश करने की श्राशा में थे। ईमानदारो की लड़ाई में वे सिराजुद्दौला का किसी तरह का मुका- बलान कर सकते थे। कोज और सामान दोन अंगरेजों की रिशवतें होगी की उनके पास बेहद कमी थी। उनका सबसे और भेद नीति " बड़ा हथियार था-रिशवते देकर, लालच देकर और मूठे वादे करके सिराजुद्दौला के आदमियों और सैनिकों के