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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/३२

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पुस्तक प्रवेश

पुस्तक प्रवेश नाम तक नहीं मिलता । यही वजह है कि भारत के प्राचीन साहित्य से तिथियों का ठीक ठीक पता नहीं चलता । इसी बात में मामूली इतिहास के ऊपर रामायण और महाभारत जैसे अन्थों की श्रेष्ठता और कहीं बढ़ कर उपयोगिता है। इतिहास लेखक की कठिनाइयाँ · जो कठिनाइयाँ मनुष्य को अपने समय का इतिहास लिखने में होती हैं उम्पसे ज़्यादा कठिनाइयाँ पुराने समय के इतिहास के लिखने में होती हैं। पिछले समय का इतिहास लिखने वाले को भी इन्हीं पक्षपात से रँगे हुए उल्लेखों के आधार पर अपनी रचना करनी पड़ती है। काल और वस्तुस्थिति की दूरी के कारण उसे और भी अधिक अंधेरे में टटोलना पड़ता है। भारत का और 'खास कर अंगरेज़ी काल के भारत का इतिहास लिखने वाले के लिए ये कठिनाइयाँ कई गुना अधिक बढ़ जाती हैं। ब्रिटिश भारत का इतिहास लिखने वाले को अधिकतर अंगरेज़ों के लिखे ग्रन्थों का सहारा लेना पड़ता है। भारतवासियों के हाथ का लिखा - कोई सिलसिलेवार इतिहास इस समय का नहीं मिलता । जो अधूरे वृत्तान्त किसी किसी भारतवासी के हाथ के लिखे मिलते हैं, उनमे से भी अनेक के लेखक अंगरेजों के धनक्रीत थे, यह बात उन्हीं के लेखों से साबित है। संसार के इतिहास में जब जद और जहाँ जहाँ एक क्रीम दूसरी क़ौम के शासन में आई है, वहाँ वहाँ कुदरली तौर पर शासक कौम के लेखकों की गरज़ अपनी रचनाओं द्वारा यही रही है कि अपनी क़ौम के लोगों में देश- भक्ति, आत्मविश्वास, स्वाभिमान और साहस को जाग्रत किया जावे और शासित कौम वालों में उन्हीं गुणों को कम किया जावे या पैदा न होने