भारत में अंगरेज़ी राज ने किस ओर पलटा खाया होता। इसमें सन्देह नहीं कि उस समय लाइव ने नवाब मीर जाफर के एक पक्ष-समर्थक की हैसियत से मुर्शिदाबाद में प्रवेश किया। बहुत सम्भव है कि यदि नगर निवासियों को उस समय क्लाइव के वास्तविक रूप का पता होता, यदि उन्हें मालूम होता कि क्लाइव और उसके साथी इन चालो से अन्द ही अन्दर भारत की आज़ादी छीनने की कोशिश कर रहे हैं, तो बहुत सम्भव है नगर निवासियों का व्यवहार क्लाइव के साथ कुछ दूसरा ही होता। किन्तु अभी तो विश्वासघातक मीर जाफ़र की आँखें खुलने में भी कुछ समय बाकी था। मुर्शिदाबाद की उस समय की अवस्था के विषय में लाइव लिखता है :- मुशिदाबाद उस "मुर्शिदाबाद का शहर उतना ही लम्बा, चौड़ा, समय और आज श्राबाद और धनवान है जितना कि लंदन शहर ; फरक इतना है कि लंदन के धनाढ्य से धनाढ्य मनुष्य के पास जितनी सम्पत्ति हो सकती है, उससे बेइन्तहा ज्यादा सम्पत्ति मुर्शिदाबाद में अनेकों के पास मौजूद है।" आज मुर्शिदाबाद भागीरथी नदी के तट पर ३५००० मनुष्यों की एक छोटी सी बस्ती है, जिसकी आबादी प्रति वर्ष घटती जा रही है और जिसमें यात्रियों के देखने के लिए पुराने महलों के खंडहर और कुछ क़बरें मौजूद हैं। उद्योग धन्धों में वहाँ पर रेशमी वस्त्रों की बुनाई, हाथी दाँत का काम और कपड़े पर सोने चाँदी के काम अभी तक प्रसिद्ध हैं, किन्तु अब अर्से से ये सब धन्धे भी मृतप्राय हो रहे हैं ।
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