१०० भारत में अंगरेजो राज की निगरानी में यह किश्तियाँ नदियां गई । वहां से (अंगरेजी ) जंगी जहाज़ों की तमाम किश्तियों और अन्य किश्तियों को साथ लेकर, झंडे फहराते हुए और विजय का बाजा बजाते हुए आगे बढ़ी x x x इससे पहले कभी भी अंगरेज़ क्रोम को एक साथ इतना अधिक नकद धन कहीं क्रिसी लड़ाई में न मिला था।"* बटवारे के समय छोटे से छोटे अंगरेज अफसर को कम से कम ४५,००० रु० दिए गए; किन्तु अपने हिन्दी- अमीचन्द के साथ स्तानी मददगारों के साथ लाइव और उसके साथियों ने फिर एक बार दगा की। इस तमाम साज़िश में आदि से अन्त तक मुख्यतम हिस्सा अमीचन्द का था। निस्सन्देह बिना अमीचन्द की सहायता के न बंगाल में अंगरेजो का व्यापार इतना बढ़ पाता, न वे चन्द्रनगर विजय कर सकते, और न सिराजुद्दौला सूबेदारी की मसनद से उतारा जा सकता। आज ही के दिन की आशा में अमीचन्द ने सिराजुद्दौला के भारतीय दरबारियों और मुलाजिमों को विदेशी अंगरेजों की ओर से रिशवते देने में अपने धन को पानी की तरह बहाया था। श्रमीचन्द ने ना + " . The committee by the 6th of July 1757 received. in coined viver 72 71 666 rupees Tus treasure Tis racked up in 700 chests and laden n 100 boats which proceeded under the care of soldiers to Viriya, from rhence they were escorted be all the boats of the squadron and many- ottery, prorering with auners displayed and music sounding of a trram- phal processet N ever vefore did the English nation at one time obin such apnze in solid money-"-Orme, History of Indostan voli pp 187,188
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