मीर कासिम आए दिन के राज परिवर्तन की वजह से बंगाल के शासन की अवस्था अत्यन्त अस्तव्यस्त हो रही थी। कम्पनी की व्यापार सम्बन्धी जबरदस्तियाँ बंगाल भर में जोरों के साथ बढ़ रही थीं। अंगरेजों ने जो करीब तीस हजार नई सेना मीर कालिम और सन्नाट की सहायता के नाम पर और साम्राज्य की रक्षा के लिए कहकर जमा कर रक्खी थी, जिसके खर्च के लिए मीर कासिम सं तीन बड़े बड़े जिले लिए गए थे, वह सब अब सूबे भर में इन ज़बरदस्तियों को जारी रखने के लिए काम में लाई जा रही थी। प्राचीन भारतीय नरेशों के अधीन राज की आमदनी का एक बहुत बड़ा जरिया तिजारती माल का महसूल महसूल की मानी था। मुगल सम्राटों के अधीन ईरान, अरब, और उसका दुरुपयोग मिश्र, इतालिया, स्पेन, पुर्तगाल, इङ्गलिस्तान, वर्मा,चीन, जापान इत्यादि अनेक बाहर के मुल्को के साथ और स्वयं भारत के अन्दर भारतीय तिजारत बेहद बढ़ी हुई थी, जिसमें हजारों भारतीय जहाज हर साल लगे रहते थे और हर व्यापारी को अपना माल एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में सरकारो महसूल देना पड़ता था। केवल ईस्ट इण्डिया कम्पनी के लिए मुगल सम्राट ने खुश होकर यह महसूल माफ कर दिया था। इस माफी का मतलब यह था कि कम्पनी अगर विलायत से कोई माल लाकर हिन्दोस्तान में बेचना चाहे या हिन्दोस्तान का बना माल खरीद कर विलायत ले जाना चाहे तो उस माल पर कोई महसूल न लिया जावे। शाही फरमान में कम्पनी के मुलाजिमों या
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