१७२ भारत में अंगरेजी राज न था, इस पर भी उम्पने अंगरेजों के साथ अपने वचन का पूरी तरह पालन किया। मुर्शिदाबाद की राजधानी में विदेशियों का प्रभाव अधिक बढ़ गया था। इसलिए मीर कासिम ने मुंगेर को अपनी नई राजधानो बनाया। उसने अधिकतर मुंगेर ही में रहना शुरू कर दिया। मुंगेर की उसने बड़ी सुन्दर और मज़बूत किलेबंदी की। करीब चालीस हजार फौज वहाँ जमा की। उस फौज को यूरोपियन ढंग के अस्त्रों की शिक्षा देने के लिए अपने यहाँ कई योग्य यूरोपियन नौकर रक्खे। एक बहुत बड़ा नया कारखाना तोपें ढालने का उसने कायम किया। जिसकी तोपों के विषय में कहा जाता है कि उस समय की यूरोप की बनी हुई तोपों से हर तरह बढ़कर थीं। मीर कासिम की सारो प्रजा उससे अत्यन्त संतुष्ट थी और उससे प्रेम करती थी। किन्तु ज्योंही मीर कासिम और उसकी प्रजा के थोड़ा बहुत पनपने का समय आया, त्योही मीर कासिम को मार कासिम के भी मसनद से उतारने की तैयारियां शुरू हो खिलाफ अंगरेजों गई। करनल मॉलेसन साफ़ लिखता है कि मोर ___ की साजिश कासिम ने अंगरेजों के साथ अपने सब वादे पूरे कर दिए, “किन्तु लालची अंगरेजों को अपनी धन पिपासा के शान्त करने का सब से अच्छा उपाय यही दिखाई दिया कि मीर कासिम को नाश करके उसके उत्तराधिकारी के साथ नए सिरे से सौदा किया जावे।"
- + Mir Kassiun performed his covenant
But men greeds of