पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/४३१

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मीर का़सिम

मीर कासिम १७२ जिस तरह मीर जाफ़र के खिलाफ अंगरेजों ने मीर कासिम को अपनी साजिशों का केन्द्र बनाया था, उसी तरह अब उलट कर मीर कासिम के खिलाफ बूढ़े मोर जाफर को इन नई साजिशों का केन्द्र बनाया गया। मीर कासिम के विरुद्ध सामग्री तैयार करने के लिए कलकत्ते की सिलेक्ट कमेटी के कुछ मेम्बरों ने ११ मार्च सन् १७६२ को कम्पनी के डाइरेक्टरों के नाम एक लम्वा पत्र भेजा, जिसमें उन्होंने मीर कासिम और उसके चरित्र पर अनेक झूठे सच्चे दोष लगाए, मीर जाफ़र की खूब तारीफे की, यह स्वीकार किया कि मीर जाफ़र के चरित्र पर इससे पहले जो दोष लगाए जा चुके थे वे सब झूठे थे और भीर जाफर को मसनद से उतारना एक भूल और अन्याय था, और लिखा :- "जब वह (मीर कासिम ) सूबेदार बना है, तब से उसके जुल्मों और लूट खसोट की बेशुमार मिसाले हम आपको दे सकते हैं। किन्तु उससे यह पत्र बेहद लम्बा हो जायगाxxx। हम केवल एक रामनारायन का हाल खास तौर पर देते हैं, जिसे मीर कासिम ने पटने को नायबी से अलग कर दिया । यह बात मानी हुई है कि रामनारायन अपने वचन का सच्चा है, इसी लिए उसकी नायबी का समर्थन करना हम सदा अपने लिए हितकर समझते रहे। मीर कासिम अाजकल गमनारायन को हथकड़ी डालकर रक्खे हुए है और उस समय तक रक्खेगा जब तक कि वह उससे हद दर्जे धन न चूस ले। Versming that the shortest road to their end lay in compassing the run Tir Kassm, In order to make a market of ths successor '--The Decistre Patiler Inera, p 13+