पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/४३३

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मीर का़सिम

मीर कासिम विरुद्ध जितने इलज़ाम गवरनर वन्सीटॉर्ट ने लगाए थे वे सब झूठे हैं, उनका उद्देश केवल "लोगों के चित्तों को मीर जाफ़र की ओर से फेर देना था," और यह कि मीर जाफ़र को मसनद से उतारने और मीर कासिम को उसकी जगह बैठाने से सारी प्रजा अत्यन्त असन्तुष्ट है। कमेटी के छै मेम्वरों के इस पत्र पर दस्तख़त हैं। निस्सन्देह इस पत्र को पढ़ने के बाद कम्पनी के उस समय के अंग- रेज मुलाजिमों के किसी भी पत्र या बयान पर कुछ भी विश्वास कर सकना कतई नामुमकिन है। तिजारत और सरकारी महसूल सम्बन्धी अंगरेजों के अत्याचार इस ग्नमय तक समस्त बंगाल में फैल चुके थे और अंगरेजों की लूट बढ़ते जा रहे थे। इन अत्याचारों के विषय में बमोट करनल मॉलेसन लिखता है:- ____इस लज्जास्पद और अन्यायपूर्ण व्यवहार का नतीजा यह हुआ कि प्रतिष्टित देशी व्यापारी सब बरबाद ही गए, ज़िले के ज़िले निर्धन हो गय, देश का सारा व्यापार उलट पुलट हो गया और व्यापार के जरिए नवाब को जो आमदनी होती थी उसमें लगातार और तेजी के साथ कमी आती गई। मीर कासिम ने बार बार कलकत्तं की कौन्सिल से इन ज्यादतियों की शिकायत की, किन्तु व्यर्थ ।" It res. it . in mantful 10 hrease istein tere that the 1r i e cirss of nats nier hants Atre ruri holc districr beramme mar or. •ire Prart !! It:traile- httine disorganised anmi the Vanabe IRTE LITE: the nort Sufi retta stu arlv and increas137 declension In