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भारत में अंगरेज़ी राज

भारत में अगरेजी राज अन्त को इन बेशुमार शिकायतों के जवाब में इस सब मामले का निपटारा करने के लिए. ३० नवम्बर सन् १७६२ को गवरनर वन्सीटॉर्ट और वारन हेस्टिंग्स नवाब से भेंट करने के लिए मंगेर पहुँचे । मीर कासिम ने जो शिकायतें इस मौके पर वन्सीटॉर्ट के सामने पेश की उनमें से एक यह भी थी:- "जब सूबेदार ( मीर कासिम) बिहार की ओर गया हुआ था और बंगाल में कोई शासक न रहा, उस समय अंगरेजों ने अपने अत्याचारों द्वारा उस सूबे के हर जिले और हर गाँव को तबाह कर डाला था, प्रजा से उनकी रोज की रोटी तक छ न ली गई थी और सरकारी महसूलों और माल- गुज़ारी का जमा होना बिलकुल बन्द हो गया था। इससे सूबेदार को करीब एक करोड़ रुपए का नुकसान हुआ xxxii १५ दिसम्बर सन् १७६२ को वन्साटॉर्ट और मीर कासिम के बीच एक सन्धि हुई जो 'मुंगेर की सन्धि' के मुंगेर की नाम से मशहूर है। और बातो के साथ इस सन्धि सन्धि में यह भी तय हुआ कि अंगरेज़ व्यापारी पाइन्दा से नमक, तम्बाकू, छालिया इत्यादि सेव चीज़ों के ऊपर Taun dut Nir Kasiml depresent, again and again these trils on the Calcatta Council--The DECEstre Battles of India, p 137

  • when His Excellency went to Behar, Bengal bcing left without a

ruler, errery village and district in that province was ruled through de oppression of the English, the subjects of the Sarkar were deprived of their dailv bread, and the collectior of the revenues was entirely stopped so that His Excellencv lost neaaly a crore of rupecs . ."-Calender of Perstan Correspondence p 194 No 1695