पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/४४

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पुस्तक प्रवेश

पुस्तक प्रवेश उस जमाने का उसका सारा वृत्तान्त अंगरेज़ों के एक धनक्रीत लेखक का लिखा वृत्तान्त है। और भी अनेक भारतीय और अन्य लेखकों को झारसी और दूसरी भाषायों में झूठे ऐतिहासिक वृत्तान्त लिखने के लिए ईस्ट इण्डिया कम्पनी की ओर से समय समय पर धन मिलता रहा है। मिसाल के तौर पर लॉर्ड विलियम बेण्टिङ्क ने ऐबे दुबॉय का प्रसिद्ध फ्रान्सीसी ग्रन्थ, जिसमें हिन्दुओं के उस समय के रहन सहन इत्यादि का ज़िक है, आव हज़ार रुपये टेकर दुबॉय से खरीदा, कपनी की ओर से उसे अंगरेज़ी में प्रकाशित कराया और अन्त में कम्पनी ने उसके लिए दुबॉय को आजीवन पेनशन दी। हैदरअली की एक फारसी जीवनी लिखने के लिए मिरज़ा इकबाल को कम्पनी की ओर से रुपए दिए गए । हैदरअली की यह जीवनी शुरू से प्रास्त्रीर तक झूठे कलङ्कों और पत्नपान से भरी हुई है। करनल माइल्स ने हैदरअली की एक जीवनी अंगरेज़ी में लिखी है, जिसके विषय में करनल माइल्स का बयान है कि वह पुस्तक मीर हुसेनअली खाँ किरमानी की कारसी पुस्तक 'निशाने हैदरी' का अनुवाद है और 'निशाने हैदरी' का मूल फारसी मसविदा मलका विक्टोरिया के निजी पुस्तकालय में मौजूद था । हमने करनल माइल्स की पुस्तक को पढ़ा । हम यह देख कर चकित रह गए कि उस पुस्तक के अन्दर पृष्ठ के पृष्ट ऐसे हैं, जिनका एक एक शब्द एक क्रॉन्सीसी लेखक एम० एम० डी० एल० टी० के ग्रन्थ 'हिस्ट्री ऑफ हैदरशाह' के एक अंगरेजी संस्करण के कुछ पृष्ठों से मिलता है। यह फ्रान्सीसी किताब हैदरअली के जीवनकाल में लिखी गई थी। मीर हुसैनभली खाँ किरमानी की किताब जाहिर है उसके बाद की लिखी हुई है। यदि फारसी लेखक ने