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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/४७०

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भारत में अंगरेज़ी राज

२० भारत में अंगरेजी राज लेए अपनी वक्त की मुलाज़मत को छोड़कर अपने मालिक के दुश्मनों से जा मिलना बड़ी शिल्लत की बात है, फिर भी कुछ हालात ऐसे हैं जिनसे हम लोगों के लिए ऐसा करना जायज़ हैxxx"* निस्सन्देह भारतीय नरेशों में परस्पर ईर्षा इस समय हद को पहुँची हुई थी। ___इस दरमियान बरसात शुरू हो गई और मौसम खराब होने की वजह से या इन सब बातों से विवश होकर शुजाउद्दौला पटने का मोहासरा छोड़कर बक्सर लौट आया। वक्सर ही में उसने बरसात गुजारने का निश्चय किया। उधर मीर जाफर ने मसनद पर दोबारा बैठते ही महाराजा नन्दकुमार को अपना दीवान नियुक्त किया दीवान नन्दकुमार नन्दकुमार सच्चा और वफ़ादार साबित हुआ। के साथ ज़बरदस्ती अंगरेज़ों की चालो को वह खासा समझ गया था। नन्दकुमार की सलाह से मीर जाफ़र ने अब यह कोशिश की कि मैं सम्राट शाहआलम और वज़ीर शुजाउद्दौला को खुश करके अपनी सूबेदारी के लिए बाज़ाब्ता शाही फरमान हासिल करलं । निस्सन्देह मीर जाफर की यह इच्छा हर तरह उचित और नियमा- नुकूल थी। किन्तु सम्राट और मीर जाफर का मेल अंगरेजों के लिए हितकर न हो सकता था। इसलिए खबर पाते ही अंगरेजों ने फौरन निर्दोष नन्दकुमार को जबरदस्ती दीवानी से अलग कर

  • Long's Selactions, Pp 358, 359.