२३० भारत में अंगरेजो राज सच यह है कि क्लाइव के जीवन का कोई भी काम ऐसा न था जिससे भारतवासी उस कृतज्ञता के साथ याद कर सके। उसका व्यक्तिगत चरित्र भी अत्यन्त पतित था। कैरकोली ने अपनी 'क्लाइव को जीवनी' में उसके पापमय काइव का कृत्यों की अनेक मिसाले दी हैं, जिन्हें इस पुस्तक व्यक्तिगत चरित्र
- में उद्धृत करना व्यर्थ और शिष्टता के विरुद्ध
होगा। कैरेकोली ने लिखा है :- "बंगाल भर में यूरोपियन और हिन्दोस्तानी दोनों तरह की स्त्रियों की ऐसी अनेक मिसालें थीं, जिन्होंने नफ़रत के साथ उसके प्रेम प्रदर्शन को अस्वीकार किया और उसे संसार के सामने हास्यास्पद बना दिया।" इनमें से अनेक स्त्रियाँ विवाहित थीं। सन् १७६७ में क्लाइव ने सदा के लिए भारत छोड़ा और इंगलिस्तान में एक भारतीय 'नवाब' के ठाट से रहना शुरू कर दिया । अन्त में उसने आत्महत्या कर ली। इंगलिस्तान के अनेक सरल-विश्वासी लोगों ने उसकी आत्महत्या का सबब यह बतलाया कि अमीचन्द के साथ जालसाजी करके ब्रिटिश राज कायम करने, सिराजुद्दौला और नजमुद्दौला की हत्याएँ कराने और अपने अनेक ईसाई मित्रों की पत्नियों को बहकाकर उनके घरों का सुख नाश करने, इत्यादि पापों की याद ने क्लाइव की आत्मा को चैन से रहने न दिया। -- - ____ There were serral instances of both white. Aund bach uomen it Bengal - ho rejected us offer ith disdain and erposed him to the realicute of the world '-Life of Clve by Caraccoli Vol 1