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भारत में अंगरेज़ी राज

२५६ भारत में अंगरेजी राज उन दिनों कम्पनी के प्रायः सब अंगरेज़ मुलाज़िम कम्पनी के लाभ के साथ साथ अपने व्यक्तिगत लाभ का भारत से हेस्टिंग्स टग्स भी खासा खयाल रखते थे। वारन हेस्टिंग्स को र की कमाई भी अपनी हर राजनैतिक चाल में इस बात का पूरा पूरा विचार रहता था। नज़रानों और रिशवतों का बाज़ार चारों ओर गरम था। इतिहास लेखक जे० टालबॉयज़ व्हीलर लिखता है :- ___ हेस्टिंग्स ने कबूल किया कि उसने सन् १७८२ में आसाझौला से १० लाख रुपए लिए। इससे अनुमान होता है कि सन् १७७३ में उसने इतनी ही रक्कम शुजाउद्दौला से लेकर चुपके से जेब में डाल ली थी। जिन कर्मचारियों को कुछ भी राजनैतिक तजरुवा है, उन्हें इसमें कोई शक नहीं हो सकता कि यदि इससे पहले आसनु होला के बाप शुजाउद्दौला ने इतनी ही रक्कम हेस्टिंग्स को न दी होती और हेस्टिंग्स ने मंज़र न कर ली होती तो मासाद्दौला हरगिज़ दस लाख रुपए हेस्टिग्स की नज़र न करता 1g कलकत्ता कौन्सिल की ११ अप्रैल सन् १७७५ की काररवाई की रिपोर्ट में दर्ज है कि अपनी गवरनरी के केवल पहले तीन साल के श्रन्दर वारन हेस्टिंग्स इन जरियों से "चालीस लाख रुपए से चार

  • “ Hastings acknowledged to having taken a hundred thousand pounds

from Asafuddoula in 1782 The inference follows that in 1773_he received a like sum from Shajanddoula and silently pocketed the money Officers of _any political expertences would be satisfied that Assfuddoula would never have offered the hundred thousad pounds to Hastungs, unless a lihe sum had been previously offered by hus tathel, Shujauddoula and accepted by _Hastangs "-J Talbors Wheeler in His Short History of India, etc